अहमदाबाद की जगन्नाथ रथ यात्रा 2025
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अहमदाबाद की जगन्नाथ रथ यात्रा 2025

भगवान जगन्नाथ का रथ 2025 में कब निकलेगा अहमदाबाद की गलियों में? जानिए इस पवित्र यात्रा का मार्ग, तारीख और दर्शन से जुड़ी हर जरूरी जानकारी।

अहमदाबाद की जगन्नाथ रथ यात्रा के बारे में

अहमदाबाद की जगन्नाथ रथ यात्रा भारत की सबसे प्राचीन और भव्य यात्राओं में से एक है। यह यात्रा हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को निकाली जाती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की शोभायात्रा होती है।

अहमदाबाद की जगन्नाथ रथ यात्रा: 2025 की तारीख और समय

जहां भीड़ है, मगर कोई अजनबी नहीं, शोर भी है, लेकिन मन को परेशान करने वाला नहीं, बल्कि जयकारो का। हाथों में रस्सी है, फिर भी मन कुछ पल के लिए ही सही, मोह-माया के बंधन से मुक्त होकर जगन्नाथमय हो जाता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं ‘अहमदाबाद जगन्नाथ रथ यात्रा’ की, जो कि वर्ष 2025 में 27 जून 2025, सुबह 7 बजे से प्रारंभ होगी। हर साल लाखों लोग इस पल का इंतजार करते हैं, कि कब भगवान जगन्नाथ नगर भ्रमण के लिए निकलें और वे उनके दर्शन कर अपना जीवन धन्य कर लें। चलिए इस लेख में जानते हैं अहमदाबाद जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी वह सारी बातें जो इस आयोजन को विशेष बनाती है।

पुरी और अहमदाबाद जगन्नाथ यात्रा में क्या है अंतर?

  • पुरी की रथ यात्रा का इतिहास हजारों साल पुराना है। यह वही जगह है जहां भगवान जगन्नाथ का मंदिर स्थित है, और यहीं से इस परंपरा की शुरुआत मानी जाती है।
  • वहीं, अहमदाबाद में जगन्नाथ यात्रा की शुरुआत बाद में हुई, और अब तक 147 रथ यात्राएं आयोजित की जा चुकी हैं।
  • अहमदाबाद व पुरी दोनों जगह पर रथ यात्राओं का आयोजन पूरे 10 दिन तक चलता है, जिसमें देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
  • अहमदाबाद की जगन्नाथ रथ यात्रा का मार्ग लगभग 18 किलोमीटर का होता है। यह यात्रा सुबह 7:00 बजे शुरू होती है और रणछोड़दास मंदिर तक पहुंचकर उसी दिन सम्पन्न हो जाती है।
  • वहीं, पुरी जगन्नाथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलदेव और बहन सुभद्रा के साथ लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर भ्रमण के लिए जाते हैं, और वहां पर 8 दिन विश्राम करने के बाद वे नौवें दिन, यानी दशमी तिथि को वापस लौटते हैं।
  • पुरी जगन्नाथ यात्रा में जिस भव्य रथ का प्रयोग किया जाता है, उसे दारुक पेड़ की लकड़ी से बनाया जाता है, और बनाने का सिलसिला लगभग 2 महीने पहले ही शुरू हो जाता है।
  • वहीं, अहमदाबाद में हर साल नए रथ बनाने की परंपरा नहीं है, बल्कि पिछले सालों की यात्राओं में इस्तेमाल किए गए रथ को ही पुनः प्रयोग किया जाता है।

अहमदाबाद रथ यात्रा की प्रमुख विशेषताएं एवं इतिहास

अहमदाबाद जगन्नाथ यात्रा की शुरुआत सन 1878 में हुई थी, जिसके अनुसार 2025 में की जाने वाली यात्रा 148वीं जगन्नाथ रथ यात्रा होगी। ये यात्रा ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर, जमालपुर से शुरू होगी। रस्सी खींचने की परंपरा यहां भी बड़ी श्रद्धा के साथ निभाई जाती है, साथ ही इस रथ यात्रा के कई अन्य आकर्षण भी होते हैं। जब यहां की सड़कों पर भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा गुजरती है, तो ऐसा लगता है मानो स्वयं ईश्वर धरती पर उतर आए हैं।

इस बार की अहमदाबाद जगन्नाथ रथ यात्रा में 18 सजे धजे गजराज (हाथी), 101 भव्य सांस्कृतिक झांकियां, 30 अखाड़े, 18 भजन मंडलियां, तीन बैंड बाजे, रथ खींचने के लिए 1000 से अधिक श्रद्धालु, नाविक और साधु संत शामिल रहेंगे। माना जा रहा है कि इस रथ यात्रा में देश भर के प्रमुख तीर्थ स्थलों से करीब 2500 संतों की पहुंचने की संभावना है।

कौन-कौन से स्थान से होकर गुजरती है रथ यात्रा?

रथ यात्रा की शुरुआत सुबह भगवान जगन्नाथ के मंदिर से होती है। यहां से यात्रा खमासा गेट होते हुए नगर निगम कार्यालय, अस्तोदिया चकला, रायपुर, खड़िया चौराहा, पंचकुवा और कालूपुर सर्कल से गुजरती है। इसके बाद डॉ. अंबेडकर हॉल तक पहुंचती है और वहां से सरसापुर चौराहे की ओर बढ़ती है, जहां थोड़े समय के लिए रथ यात्रा विश्राम लेती है।

इसके बाद भक्त "जय जगन्नाथ" के जयघोष के साथ दोबारा रथ खींचना शुरू करते हैं, और यात्रा एक बार फिर आगे बढ़ती है। वापसी के दौरान यह यात्रा सरसापुर से आरंभ होकर डॉ. अंबेडकर हॉल, कालूपुर सर्कल, जॉर्डन रोड, दिल्ली चकला, हलीम नी खड़की, शाहपुर दरवाजा, शाहपुर चकला और रंगीला चौकी से होकर आगे बढ़ती है। इसके बाद यात्रा घिकांटा रोड, पंकोर्नका, फाउंटेन, आरसी हाई स्कूल, मानेक चौक, गोल लिम्डा और दानापीठ जैसे प्रमुख स्थानों से गुजरते हुए अंततः खमासा पहुँचती है। अंत में भगवान जगन्नाथ अपने मंदिर में लौट आते हैं और यहीं पर रथ यात्रा का समापन होता है।

तो ये थी अहमदाबाद जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी विशेष जानकारी। हमारी कामना है कि आपको भी इस दिव्य रथ यात्रा में भाग लेने और भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने का सौभाग्य मिले। जगन्नाथ यात्रा से जुड़ी कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी ‘श्री मंदिर’ पर उपलब्ध हैं, जहां आपको इस यात्रा से जुड़े कई रोचक तथ्यों की झलक मिलेगी।

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Published by Sri Mandir·June 25, 2025

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